27. सुरक्षा और संरक्षा प्रबंधन
Safety and Security Management
सुरक्षा और संरक्षा की
अवधारणाएँ किसी भी बड़े संगठन के सतत संचालन के लिए मूलभूत होती हैं। ऐसे
अवसंरचनात्मक तंत्र, जिनमें
बड़े पैमाने पर लोगों और सामान की आवाजाही शामिल होती है,
जैसे कि परिवहन प्रणाली,
को कठोर सुरक्षा और संरक्षा
ढाँचे अपनाने आवश्यक हैं। जैसे-जैसे संगठन पैमाने और जटिलता में विकसित होते
हैं—विशेषकर रेलवे जैसे क्षेत्रों में—उसी प्रकार उनसे जुड़े जोखिम और कमजोरियाँ
भी बढ़ती जाती हैं।
भारतीय रेल, जो विश्व के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है, विशाल भौगोलिक क्षेत्रों में कार्यरत है और प्रतिदिन करोड़ों यात्रियों एवं लाखों टन माल का परिवहन करती है। इसकी परिसंपत्तियों, कर्मचारियों और उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना केवल एक नियामक आवश्यकता ही नहीं, बल्कि नैतिक और परिचालन अनिवार्यता भी है। यह अध्याय भारतीय रेल में सुरक्षा और संरक्षा के व्यवस्थित प्रबंधन पर प्रकाश डालता है, जिसमें विभिन्न रणनीतियाँ, तकनीकी अनुप्रयोग, निवारक तंत्र और प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल शामिल हैं।
भारतीय रेल में सुरक्षा प्रबंधन
1.
ट्रेनों की परिचालन सुरक्षा
ट्रेन संचालन में उच्च परिशुद्धता और विश्वसनीयता आवश्यक
है। दुर्घटनाओं की संभावना को कम करने और समयबद्ध सेवा सुनिश्चित करने के लिए
भारतीय रेल विभिन्न तकनीकों और प्रक्रियागत मानकों का उपयोग करती है:
- उन्नत
सिग्नलिंग प्रणाली: स्वचालित सिग्नलिंग सिस्टम और इंटरलॉकिंग तंत्र
का उपयोग करके ट्रेनों की आवाजाही को सुरक्षित रूप से नियंत्रित किया जाता
है। यह मानवीय त्रुटि को कम करता है और एक ही खंड में ट्रेनों के बीच समन्वय
को बढ़ाता है।
- एंटी-कोलिजन
डिवाइस (ACDs): ये उपकरण संभावित टक्कर की स्थितियों का पता
लगाकर रोकथाम की कार्रवाई आरंभ करते हैं। इसमें जीपीएस और वायरलेस संचार का
उपयोग करके ट्रेनों की स्थिति का पता लगाया जाता है और अलर्ट जारी किए जाते
हैं।
- फॉग
सेफ्टी डिवाइस (FOG PASS): कोहरे जैसी कम
दृश्यता की स्थिति में, FOG PASS जैसे उपकरण लोको पायलट को वास्तविक समय में
सिग्नल की स्थिति, ट्रैक ढाल और गति प्रतिबंधों की जानकारी देते हैं, जिससे
ट्रेन संचालन सुरक्षित होता है।
- मानव
संसाधन प्रशिक्षण: लोको पायलट, गार्ड और अन्य परिचालन कर्मचारियों के लिए
नियमित रिफ्रेशर कोर्स और सुरक्षा अभ्यास अनिवार्य हैं। इससे यह सुनिश्चित
होता है कि वे तकनीक और आपातकालीन प्रक्रियाओं दोनों से अद्यतन रहें।
2.
अवसंरचना (Infrastructure) और पटरियों (Tracks) की सुरक्षा
रेलवे की भौतिक अवसंरचना—जिसमें पटरियाँ और पुल शामिल
हैं—पर घिसाव, दबाव
और प्राकृतिक बलों का प्रभाव पड़ता है। संरचनात्मक अखंडता बनाए रखने के लिए भारतीय
रेल व्यापक उपाय करती है:
- अल्ट्रासोनिक
दोष पहचान (USFD): पटरियों की समय-समय
पर अल्ट्रासोनिक उपकरणों से जाँच की जाती है, जिससे आंतरिक दोष, दरारें
या थकान का पता लगाया जा सके और खतरे में बदलने से पहले सुधार किया जा सके।
- पुल
निरीक्षण: इंजीनियरिंग दल रेलवे पुलों का नियमित निरीक्षण
करते हैं ताकि उनकी भार वहन क्षमता और स्थिति का मूल्यांकन किया जा सके। किसी
भी असामान्यता का समय पर रखरखाव द्वारा निवारण किया जाता है।
- पटरी
रखरखाव: यांत्रिक उपकरणों और ट्रैक मशीनों का उपयोग
करके पटरियों को पुन: संरेखित और मजबूत किया जाता है, जिससे
सुरक्षा मानकों का पालन हो और पटरी से उतरने का जोखिम कम हो।
3.
अग्नि सुरक्षा प्रबंधन
ट्रेन या स्टेशन में आग लगने की घटनाएँ जीवन और संपत्ति की
भारी हानि का कारण बन सकती हैं। रोकथाम और तैयारी अग्नि सुरक्षा प्रबंधन के
महत्वपूर्ण घटक हैं:
- ऑनबोर्ड
अग्नि उपकरण: कोचों में अग्निशामक यंत्र, धूम्रपान
डिटेक्टर और अग्निरोधी सामग्री लगाई जाती है, ताकि आग को फैलने से रोका जा सके।
- अग्नि
अभ्यास और जागरूकता: कर्मचारियों को आग की आपात स्थिति संभालने का
प्रशिक्षण दिया जाता है। यात्रियों की भागीदारी के साथ समय-समय पर मॉक ड्रिल
आयोजित की जाती हैं, जिससे सार्वजनिक जागरूकता बढ़ती है और वास्तविक
घटना के दौरान त्वरित निकासी सुनिश्चित होती है।
भारतीय रेल में संरक्षा प्रबंधन
1.
यात्री और स्टेशन सुरक्षा
यात्रियों—विशेष रूप से महिलाओं,
बच्चों और कमजोर वर्गों—की
सुरक्षा सर्वोपरि है। भारतीय रेल विभिन्न भौतिक और डिजिटल निगरानी प्रणालियों का
उपयोग करती है:
- क्लोज़्ड-सर्किट
टेलीविजन (CCTV): प्रमुख रेलवे स्टेशनों और कुछ ट्रेनों में
निगरानी प्रणाली स्थापित की गई है, जिससे अपराध की रोकथाम और जाँच में मदद मिलती
है।
- सुरक्षा
बल: रेलवे सुरक्षा बल (RPF), जो रेलवे मंत्रालय के अधीन है, और
सरकारी रेलवे पुलिस (GRP), जो राज्य सरकारों के अधीन है, रेलवे
परिसरों में कानून प्रवर्तन की जिम्मेदारी निभाते हैं।
- महिला
सुरक्षा पहल: मेरी सहेली जैसी योजनाएँ महिला
यात्रियों को समर्पित सहायता प्रदान करती हैं। विशेष दल यात्रा के दौरान
महिलाओं से संवाद कर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
2.
साइबर सुरक्षा उपाय
बढ़ते डिजिटलीकरण के साथ, टिकट बुकिंग, ट्रेन संचालन और ग्राहक डेटा प्रबंधन में मजबूत साइबर
सुरक्षा प्रोटोकॉल आवश्यक हैं:
- सुरक्षित
टिकटिंग प्लेटफ़ॉर्म: आईआरसीटीसी प्लेटफ़ॉर्म एंड-टू-एंड डेटा
एन्क्रिप्शन और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का उपयोग करता है ताकि अनधिकृत पहुँच
रोकी जा सके।
- साइबर
खतरों से सुरक्षा: नियमित ऑडिट, एंटी-फ़िशिंग उपकरण और फ़ायरवॉल सिस्टम का
उपयोग करके डेटा चोरी, मैलवेयर हमले और हैकिंग जैसी जोखिमों का पता
लगाया और कम किया जाता है।
3.
सामाजिक और परिस्थितिजन्य
संरक्षा
सार्वजनिक प्रकृति के कारण रेलवे परिसरों में सामाजिक
अशांति और आपराधिक गतिविधियों की संभावना रहती है। ऐसे खतरों से निपटने के लिए:
- चोरी और
धोखाधड़ी विरोधी निगरानी: चोरी, जेबकतरी, प्रतिरूपण और धोखाधड़ी का पता लगाने और रोकने
के लिए विशेष सतर्कता रखी जाती है।
- विशेषीकृत
दस्ते: बम निरोधक दल, डॉग स्क्वाड और गुप्त निगरानी इकाइयाँ
उच्च-जोखिम वाले अभियानों और भीड़ प्रबंधन में तैनात की जाती हैं।
- मादक
पदार्थ विरोधी अभियान: भारतीय रेल कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ
मिलकर ड्रग तस्करी और अवैध पदार्थों के परिवहन की रोकथाम करती है।
रक्षा प्रबंधन के सिद्धांत – “पाँच E”
सुरक्षा प्रबंधन का एक व्यवस्थित दृष्टिकोण पाँच मूलभूत
सिद्धांतों पर आधारित है, जिन्हें अक्सर “पाँच E” कहा जाता है:
1. Education (शिक्षा): सभी हितधारकों—कर्मचारियों, यात्रियों और ठेकेदारों—को सुरक्षा मानदंड,
आपातकालीन प्रोटोकॉल और खतरे
की पहचान के बारे में जानकारी और प्रशिक्षण देना।
2. Engineering (इंजीनियरिंग): सुरक्षित प्रणालियों और भौतिक अवसंरचना का डिज़ाइन करना जो
दुर्घटनाओं को रोक सके। इसमें बेहतर कोच डिज़ाइन, सिग्नल इंटरलॉकिंग और एर्गोनोमिक स्टेशन डिज़ाइन शामिल है।
3. Enforcement (प्रवर्तन): निगरानी और दंड प्रणाली के माध्यम से सुरक्षा नियमों,
मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs)
और नियमों का कड़ाई से पालन
करना।
4. Evaluation (मूल्यांकन): ऑडिट, घटना रिपोर्ट और फील्ड फीडबैक के माध्यम से सुरक्षा उपायों
और नीतियों की प्रभावशीलता का नियमित आकलन करना।
5. Encouragement (प्रोत्साहन): सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने वालों को मान्यता और
पुरस्कार देना, तथा
कार्यबल में सुरक्षा-जागरूक संस्कृति विकसित करना।
आपातकालीन प्रतिक्रिया ढाँचा (Emergency Response Framework)
किसी दुर्घटना, तकनीकी विफलता या संरक्षा उल्लंघन की स्थिति में भारतीय रेल
बहु-स्तरीय आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र अपनाती है:
- 24×7 हेल्पलाइन सेवाएँ: 139 (सामान्य
पूछताछ), 182 (सुरक्षा चिंताएँ) और 112 (राष्ट्रीय आपातकाल) जैसी समर्पित हेल्पलाइन
चौबीसों घंटे सक्रिय हैं।
- आपातकालीन
अवसंरचना: प्रत्येक कोच में आपातकालीन चेन पुलिंग तंत्र
प्रदान किया गया है, और स्टेशन तथा ट्रेनों में प्रमुख स्थानों पर
फायर अलार्म सिस्टम लगाए गए हैं।
- क्विक
रिस्पॉन्स टीमें (QRTs): विशेष टीमें
प्रशिक्षित और तैनात रहती हैं ताकि आपात स्थितियों में तुरंत प्रतिक्रिया
देकर त्वरित चिकित्सीय सहायता और सेवाओं की बहाली सुनिश्चित कर सकें।
निष्कर्ष (Conclusion)
भारतीय रेल में सुरक्षा और संरक्षा प्रबंधन केवल तकनीकी
प्रणालियाँ स्थापित करने या दिशा-निर्देश लागू करने तक सीमित नहीं है। यह एक
गतिशील और सक्रिय रणनीति है जो उभरते जोखिमों के अनुसार अनुकूलित होती है और
कर्मचारियों, यात्रियों
एवं हितधारकों की सामूहिक जिम्मेदारी को सम्मिलित करती है।
रेलवे नेटवर्क की विशालता और संचालन की विविधता को देखते
हुए, सतत रूप से सुरक्षित
वातावरण सुनिश्चित करना जटिल किन्तु अनिवार्य मिशन है। प्रभावी सुरक्षा और संरक्षा
उपाय न केवल जीवन और संपत्ति बचाते हैं बल्कि जनविश्वास को बढ़ाते हैं और संगठन की
प्रतिष्ठा को भी बनाए रखते हैं। सार रूप में, सुरक्षा कोई गंतव्य नहीं है—यह एक सतत यात्रा है जो
संगठनात्मक शासन के मूल में निहित है।
No comments:
Post a Comment