29. रेलवे में आपदा प्रबंधन (Disaster
Management)
भारतीय रेल, जो विश्व की सबसे बड़ी और जटिल रेलवे प्रणालियों में से एक है, देश के परिवहन तंत्र की रीढ़ मानी जाती है। प्रतिदिन लाखों यात्री यात्रा करते हैं और विशाल मात्रा में माल का परिवहन किया जाता है, जिससे इस प्रणाली को सुरक्षा, दक्षता और तत्परता के उच्च मानकों पर कार्य करना आवश्यक हो जाता है। इसके आकार और परिचालन जटिलता के कारण, भारतीय रेल स्वाभाविक रूप से विभिन्न प्रकार के व्यवधानों—जैसे दुर्घटनाएँ, प्राकृतिक आपदाएँ और मानव-जनित संकट—के प्रति संवेदनशील है। किसी भी प्रकार की घटना—चाहे वह ट्रेन टक्कर हो, पटरी से उतरना, आग लगना, तकनीकी खराबी या सुरक्षा खतरा—गंभीर परिणाम ला सकती है, जिसमें मानव जीवन की हानि, परिचालन में व्यवधान और सार्वजनिक विश्वास की हानि शामिल है।
इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए एक मजबूत
और व्यवस्थित आपदा प्रबंधन ढांचा आवश्यक है। इसमें तैयारी,
वास्तविक समय समन्वय,
त्वरित प्रतिक्रिया और घटना के
बाद पुनर्प्राप्ति उपाय शामिल होते हैं, जो राष्ट्रीय और संगठनात्मक सुरक्षा नीतियों के अनुरूप होते
हैं।
रेलवे में आपदा प्रबंधन के उद्देश्य
रेलवे क्षेत्र में आपदा प्रबंधन के मुख्य उद्देश्य हैं:
- आपातकालीन
स्थिति में त्वरित और संगठित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना।
- जनहानि
और रेलवे संपत्तियों की क्षति को न्यूनतम करना।
- यथाशीघ्र
सामान्य परिचालन बहाल करना।
- प्रभावित
व्यक्तियों को चिकित्सा सहायता, राहत और पुनर्वास प्रदान करना।
- कारणों
का विश्लेषण कर रोकथाम उपाय लागू करना ताकि पुनरावृत्ति की संभावना कम हो।
- पारदर्शी
संवाद और जवाबदेही के माध्यम से जनता का विश्वास बनाए रखना।
रेलवे संदर्भ में आम आपदाएँ
रेलवे को प्रभावित करने वाली आपदाएँ प्राकृतिक और मानव-जनित
दोनों हो सकती हैं। प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं:
1. ट्रेन दुर्घटनाएँ
– ट्रेनों की टक्कर या पटरियों
की खराबी, परिचालन
त्रुटि या यांत्रिक खराबी के कारण पटरी से उतरना।
2. आग
– कोच,
इंजन या स्टेशनों में विद्युत
दोष, ज्वलनशील पदार्थ या
तोड़फोड़ से आग लग सकती है।
3. प्राकृतिक आपदाएँ
– बाढ़,
चक्रवात,
भूस्खलन और भूकंप जैसी घटनाएँ
रेलवे लाइनों को बाधित कर सकती हैं, बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुँचा सकती हैं या संचालन को
असुरक्षित बना सकती हैं।
4. तोड़फोड़ और सुरक्षा खतरे
– आतंकवाद,
उपद्रव या राजनीतिक रूप से
प्रेरित अवरोध रेलवे संचालन और यात्री सुरक्षा को खतरे में डाल सकते हैं।
5. तकनीकी और यांत्रिक
विफलताएँ – सिग्नलिंग,
ब्रेक सिस्टम या संचार उपकरण
की खराबी परिचालन जोखिम उत्पन्न कर सकती है।
6. सामाजिक अशांति
– रेलवे पटरियों या स्टेशनों को
प्रभावित करने वाले आंदोलन, दंगे या प्रदर्शन आपातकालीन स्थिति में बदल सकते हैं।
रेलवे आपदा प्रबंधन के रणनीतिक लक्ष्य
उपरोक्त जोखिमों का सामना करने के लिए निम्नलिखित
उद्देश्यों पर बल दिया जाता है:
- मानव
जीवन की रक्षा – यात्रियों, रेलवे कर्मचारियों और परिसर में उपस्थित अन्य
व्यक्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- सेवाओं
की समय पर बहाली – क्षति का आकलन और मरम्मत कर शीघ्र परिचालन पुनः
प्रारंभ करना।
- प्रभावी
संचार – यात्रियों, अधिकारियों और मीडिया को सही और समय पर जानकारी देना।
- एकीकृत
राहत कार्य – चिकित्सा, इंजीनियरिंग और आपातकालीन टीमों की समन्वित
कार्रवाई।
- संसाधनों
का इष्टतम उपयोग – उपकरण, मानवशक्ति और रसद का प्रभावी ढंग से उपयोग।
- नीति और
प्रणाली सुधार – घटना विश्लेषण और ऑडिट निष्कर्षों के आधार पर
संगठनात्मक सुधार।
रेलवे में आपदा प्रबंधन की संस्थागत संरचना
डिवीजन स्तर पर:
- डिवीजनल
रेलवे मैनेजर (DRM): समग्र समन्वयक।
- डिवीजनल
कंट्रोल रूम: सूचना और कमान का मुख्य केंद्र।
- सीनियर
डिवीजनल सेफ्टी ऑफिसर (Sr. DSO): सुरक्षा प्रोटोकॉल
और स्थल संचालन की देखरेख।
- एक्सीडेंट
रिलीफ ट्रेन (ART): भारी मशीनरी और बचाव
उपकरणों से सुसज्जित।
- एक्सीडेंट
रिलीफ मेडिकल वैन (ARMV): डॉक्टर, दवाइयाँ
और चिकित्सा उपकरण उपलब्ध।
ज़ोन स्तर पर:
- जनरल
मैनेजर (GM): ज़ोनल प्रतिक्रिया समन्वय प्रमुख।
- चीफ
पब्लिक रिलेशंस ऑफिसर (CPRO): मीडिया और सार्वजनिक
सूचना का प्रबंधन।
- चीफ
सेफ्टी ऑफिसर (CSO): समग्र सुरक्षा की
निगरानी।
रेलवे बोर्ड स्तर पर:
- सदस्य
(इन्फ्रास्ट्रक्चर): नीतिगत मार्गदर्शन और संसाधन आवंटन।
- महानिदेशक
(DG) सुरक्षा: रणनीतिक सुरक्षा
योजना और ऑडिट।
- NDMA (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) से समन्वय: राष्ट्रीय मानकों और
दिशानिर्देशों के अनुपालन की सुनिश्चितता।
आपदा के दौरान मानक संचालन प्रक्रिया (SOP)
किसी घटना के समय सामान्यतः निम्नलिखित कदम उठाए जाते हैं:
1. चेतावनी तंत्र
– कंट्रोल रूम और संबंधित
अधिकारियों को तुरंत सूचित करना।
2. प्रतिक्रिया इकाइयों की
तैनाती – ART, ARMV और क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) को मौके पर भेजना।
3. चिकित्सा सहायता
– स्थल पर प्राथमिक उपचार और
गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों को अस्पताल ले जाना।
4. परिचालन का पुनर्निर्देशन
– ट्रैफिक बनाए रखने हेतु
वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था।
5. सूचना प्रसार
– यात्रियों और परिजनों को
हेल्पलाइन (139, 182) के
माध्यम से सूचित करना।
6. स्थल प्रबंधन
– क्षेत्र को सुरक्षित करना और
मीडिया को आधिकारिक ब्रीफिंग देना।
आपदा-पूर्व तैयारी पहल
संभावित आपदाओं के प्रभाव को कम करने हेतु निम्न उपाय अपनाए
जाते हैं:
- मॉक
ड्रिल और सिमुलेशन – नियमित अभ्यास से तैयारी का मूल्यांकन और
खामियों की पहचान।
- रणनीतिक
संसाधन आवंटन – संवेदनशील क्षेत्रों में ART, ARMV और
स्टाफ की तैनाती।
- क्षमता
निर्माण – कर्मचारियों को ज़ोनल रेलवे प्रशिक्षण संस्थान (ZRTI) में
प्रशिक्षित करना।
- जागरूकता
और सार्वजनिक संचार – SOP प्रकाशित और अपडेट करना।
- उपकरणों
का आधुनिकीकरण – बचाव उपकरण, सुरक्षा गियर और संचार प्रणाली की उपलब्धता
सुनिश्चित करना।
आपदा प्रतिक्रिया में आवश्यक संसाधन और इकाइयाँ
- एक्सीडेंट
रिलीफ ट्रेन (ART): हाइड्रोलिक कटर, क्रेन, जैक, लाइटिंग
सिस्टम और बचाव उपकरण से युक्त।
- एक्सीडेंट
रिलीफ मेडिकल वैन (ARMV): डॉक्टर, पैरामेडिक
और चिकित्सा आपूर्ति (ऑक्सीजन, स्ट्रेचर, प्राथमिक उपचार किट) उपलब्ध।
- क्विक
रिस्पॉन्स टीम (QRT): विशेष रूप से
प्रशिक्षित टीमें जो त्वरित बचाव कार्य प्रारंभ करती हैं।
- कंट्रोल
रूम: संचार, समन्वय और डाटा संग्रहण के परिचालन केंद्र।
आपदा प्रबंधन में तकनीकी और डिजिटल प्रगति
प्रौद्योगिकी के एकीकरण से आपदा प्रबंधन की दक्षता में
वृद्धि हुई है। प्रमुख विकास इस प्रकार हैं:
- वास्तविक
समय ट्रेन ट्रैकिंग प्रणाली
- FOG PASS (फॉग पायलट असिस्टेंस सिस्टम फॉर सेफ्टी) उपकरण
- ड्रोन
सर्विलांस से स्थल का आकलन
- सिग्नलिंग
प्रणाली का स्वचालन
- VHF वायरलेस संचार
- बायोमेट्रिक
उपस्थिति और चालक निगरानी
- डाटा
एनालिटिक्स से पूर्वानुमान चेतावनी
आपदा के बाद की कार्यवाही और नीतिगत सुधार
तत्काल प्रतिक्रिया चरण के बाद निम्न कदम उठाए जाते हैं:
- जांच – रेलवे
सुरक्षा आयुक्त (CRS) द्वारा कारणों का निर्धारण।
- जवाबदेही
और अनुशासनात्मक कार्रवाई – दोषी व्यक्तियों की पहचान और कार्रवाई।
- बुनियादी
ढाँचे की मरम्मत और बहाली – ट्रैक, सिग्नल और रोलिंग स्टॉक की मरम्मत।
- मुआवजा
और सहायता – पीड़ितों और उनके परिवारों को वित्तीय सहायता।
- सुधारों
का कार्यान्वयन – सीखे गए सबक को नीति, डिजाइन
और प्रक्रियाओं में शामिल करना।
निष्कर्ष (Conclusion)
रेलवे में आपदा प्रबंधन एक बहुआयामी और सतत प्रक्रिया है,
जिसमें पूर्वानुमान,
योजना,
प्रशिक्षण,
कार्यान्वयन और सुधार शामिल
हैं। यह केवल आपातकालीन प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं है,
बल्कि दीर्घकालिक लचीलापन और
प्रणाली सुधार के लिए आवश्यक रणनीतिक ढाँचा भी प्रदान करता है। भारतीय रेल ने
निरंतर प्रयासों और तकनीकी नवाचारों के माध्यम से अपने आपदा प्रबंधन तंत्र को
सुदृढ़ किया है। ये प्रगति सुरक्षा, विश्वसनीयता और सार्वजनिक जवाबदेही के प्रति प्रतिबद्धता को
दर्शाती हैं, जिससे
यह सुनिश्चित होता है कि राष्ट्र की जीवनरेखा प्रतिकूल परिस्थितियों में भी
सुरक्षित और कुशल बनी रहे।
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