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25. प्रबन्धन में तनाव प्रबन्धन (Stress Management in Management)

भूमिका

तनाव एक सामान्य मानवीय अनुभव है, जिसे अक्सर "दैनिक जीवन की घिसावट" कहा जाता है। प्रबन्धन के सन्दर्भ में, तनाव तब उत्पन्न होता है जब आंतरिक दबाव, बाहरी अपेक्षाएं और व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक जीवन में संतुलन बनाए रखने का प्रयास बढ़ जाता है। जब किसी व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता पर उसकी जिम्मेदारियों का भार अधिक हो जाता है, तो तनाव उत्पन्न होता है। यह न केवल व्यक्तिगत कार्यक्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि संगठन की उत्पादकता एवं वातावरण को भी नुकसान पहुँचा सकता है।

🔷 तनाव के प्रकार

प्रबन्धन में तनाव अनेक रूपों में सामने आता है, जैसे कि:

  1. कार्यालयीय तनाव – ड्यूटी शिफ्ट, लम्बे कार्य घंटे, अत्यधिक कार्यभार, सहकर्मियों से तनाव या अधिकारियों का दबाव।

  2. पारिवारिक तनाव – वैवाहिक समस्याएँ, बच्चों की शिक्षा, बीमारी, आर्थिक परेशानी।

  3. व्यक्तिगत तनाव – आत्म-संदेह, भावनात्मक परेशानियाँ, आत्मविश्वास की कमी।

  4. विशिष्ट तनाव – सामाजिक दबाव, अचानक परिवर्तन, अस्थिरता।

🔷 नौकरी में तनाव के कारण

निम्नलिखित बिंदु नौकरी में तनाव के मुख्य कारण होते हैं:

  • लगातार शिफ्ट ड्यूटी और लम्बा कार्य समय

  • कार्य की मात्रा का शारीरिक या मानसिक क्षमता से अधिक होना

  • लक्ष्यों की अस्पष्टता या मूल्यांकन के मानकों का न होना

  • निर्णय लेने में कठिनाई

  • कार्यस्थल पर सहयोग की कमी या नकारात्मक वातावरण

  • व्यावसायिक और पारिवारिक जीवन में संतुलन की कमी

  • संगठनात्मक संरचना की अव्यवस्था या निगरानी का अत्यधिक बोझ

  • स्मरण शक्ति में गिरावट, अत्यधिक सोच, नींद की कमी

  • आत्म-विश्वास की कमी, अव्यवस्थित योजना


🎯 तनाव के दुष्प्रभाव

तनाव के चलते व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता घट जाती है, कार्य के प्रति उत्साह कम हो जाता है और उत्पादकता में गिरावट आती है। अधिक समय तक तनाव बने रहने से मानसिक रोग, शारीरिक कमजोरी, और कार्यस्थल पर असंतोष जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं।


🧘‍♀️ तनाव कम करने के उपाय (DO’s)

  1. अपने तनाव स्तर को पहचानें।

  2. योग, ध्यान, और शारीरिक व्यायाम को अपनाएं।

  3. अपनी क्षमता, कमजोरी, अवसर और खतरे का विश्लेषण करें (SWOT)।

  4. नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराएं।

  5. समय-समय पर नियोजित अवकाश लें।

  6. किसी विश्वसनीय व्यक्ति से अपनी चिंताएं साझा करें।

  7. तनाव उत्पन्न करने वाले विचारों से ध्यान हटाएं।

  8. परिवार, मित्रों और बच्चों के साथ समय बिताएं।

  9. कार्यों की पूर्व योजना बनाएं।

  10. अपनी सीमाओं को पहचानें और उन्हीं तक सीमित रहें।

  11. जो टाला न जा सके, उसे छोड़ना सीखें।

  12. वर्तमान में जीना सीखें, अतीत या भविष्य की चिंता न करें।

  13. समय और परिस्थिति के अनुसार खुद को ढालें।

  14. काम के बाद पर्याप्त विश्राम करें।

  15. दिनचर्या निर्धारित करें और डायरी लिखें।

  16. गलतियों को स्वीकारें और उनसे सीखें।

  17. दस्तावेज़ों को व्यवस्थित रखें और समय-समय पर नवीनीकरण करें।

  18. सभी से विनम्र व्यवहार करें, संवाद बनाए रखें।

  19. जब आवश्यक हो, तभी बोलें।

  20. सीखते रहने की इच्छा बनाए रखें।


🚫 क्या न करें (DON’Ts)

  1. पूर्णता प्राप्त करने का प्रयास न करें – यह असम्भव है।

  2. एक साथ कई कार्य करने से बचें।

  3. अनावश्यक जाँच-पड़ताल में समय न गंवाएं।

  4. बेकार के कार्यों में ऊर्जा न व्यर्थ करें।

  5. अत्यधिक महत्वाकांक्षी न बनें।

  6. जब 'ना' कहना हो, तब 'हाँ' न कहें।


🔚 निष्कर्ष

तनाव प्रबन्धन आज के समय में प्रत्येक कर्मचारी और प्रबन्धक की अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है। एक संतुलित जीवनशैली, सकारात्मक दृष्टिकोण, तथा समय का नियोजन ही तनाव को दूर रखने के प्रमुख उपाय हैं। जब व्यक्ति स्वयं को समझता है, सीमाओं को पहचानता है और वर्तमान में जीता है, तो वह न केवल तनाव से दूर रहता है, बल्कि संगठन की उन्नति में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।

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