13. प्रबंधन में संप्रेषण (Communication
in Management)
अर्थ, प्रक्रिया, प्रकार, महत्त्व और
सिद्धांत
प्रबंधन की प्रक्रिया में संप्रेषण (Communication) एक मूलभूत तत्व है। इसका अर्थ है – विचारों, तथ्यों,
निर्देशों, मतों और भावनाओं का व्यक्तियों या
समूहों के बीच एक व्यवस्थित प्रक्रिया के अंतर्गत आदान-प्रदान करना। प्रबंधकीय
संदर्भ में, संप्रेषण वह प्रमुख साधन होता है जिससे योजनाओं
को बताया जाता है, निर्णयों को लागू किया जाता है और समन्वय
स्थापित किया जाता है।
किसी संगठन में प्रबंधक को निरंतर अधीनस्थ, समकक्षों और वरिष्ठों के साथ संवाद करना पड़ता है, ताकि सभी व्यक्ति संगठन के लक्ष्यों के अनुरूप कार्य कर सकें। प्रबंधन में संप्रेषण केवल मौखिक वार्तालाप तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसमें लिखित, अशाब्दिक (non-verbal) और डिजिटल रूप भी शामिल होते हैं, जिससे यह एक बहुआयामी प्रक्रिया बन जाती है। यह प्रक्रिया सहभागिता पर आधारित होती है – अर्थात इसमें प्रेषक (Sender) और ग्रहणकर्ता (Receiver) दोनों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है।
प्रभावी संप्रेषण निर्णय लेने, समस्याओं के समाधान, कर्मचारियों की प्रेरणा,
टीम समन्वय तथा समग्र प्रबंधकीय दक्षता के लिए आवश्यक है।
संप्रेषण की परिभाषा (Definition of Communication)
विभिन्न विद्वानों और विशेषज्ञों ने विभिन्न संदर्भों में
संप्रेषण को परिभाषित किया है। प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं:
1. सामान्य परिभाषा:
संप्रेषण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से सूचना, विचार या भावनाएँ व्यक्तियों के बीच एक
सामान्य प्रतीक, संकेत या व्यवहार प्रणाली द्वारा
आदान-प्रदान की जाती हैं।
2. प्रबंधकीय परिभाषा:
प्रबंधन के क्षेत्र में संप्रेषण का अर्थ होता है –
संदेशों का स्पष्ट और उद्देश्यपूर्ण आदान-प्रदान (जैसे – निर्देश, नीतियाँ, प्रतिक्रिया,
या योजनाएँ), जो संगठनात्मक उद्देश्यों की
प्राप्ति में सहायक हो।
संप्रेषण की प्रक्रिया (Communication Process)
संप्रेषण प्रक्रिया में कई क्रमबद्ध चरण होते हैं, जो किसी संदेश को सफलतापूर्वक एक व्यक्ति
से दूसरे तक पहुँचाने में सहायक होते हैं। ये घटक यदि समन्वित रूप से कार्य करें,
तभी संप्रेषण प्रभावी होता है:
1. प्रेषक (Sender/Communicator):
संदेश का आरंभकर्ता। यह कोई प्रबंधक, कर्मचारी या कोई अन्य व्यक्ति हो सकता है,
जो विचार बनाकर उसे संप्रेषित करता है।
2. संदेश (Message):
वह सामग्री या सूचना जिसे प्रेषक दूसरों को बताना
चाहता है। यह निर्देश, विचार,
प्रतिक्रिया या डेटा हो सकता है।
3. माध्यम (Medium/Channel):
वह साधन जिसके माध्यम से संदेश प्रेषक से ग्रहणकर्ता
तक पहुँचता है। यह मौखिक (oral), लिखित (written), या इलेक्ट्रॉनिक (जैसे – वीडियो
कॉल, मैसेजिंग ऐप्स) हो सकता है।
4. ग्रहणकर्ता (Receiver):
वह व्यक्ति या समूह जिसके लिए संदेश भेजा गया है। यह
संदेश को समझने और उसका अर्थ निकालने का प्रयास करता है।
5. प्रतिक्रिया (Feedback):
ग्रहणकर्ता की प्रतिक्रिया, जिससे पता चलता है कि संदेश समझा गया या
नहीं। यह प्रक्रिया को पूर्ण करता है।
6. शोर (Noise/Interference):
कोई भी बाधा जो संदेश को विकृत करती है या उसके
समझने में व्यवधान डालती है। उदाहरण: नेटवर्क खराब होना, जटिल तकनीकी शब्दों का उपयोग, शारीरिक विक्षेप, या मानसिक पूर्वाग्रह।
संप्रेषण के प्रकार (Types of Communication)
प्रबंधन में संप्रेषण को कई आधारों पर वर्गीकृत किया जा
सकता है। प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
1. अभिव्यक्ति के आधार पर (Based on
Method of Expression):
- मौखिक
संप्रेषण (Oral
Communication):
इसमें बोले गए शब्दों का प्रयोग होता है। बैठक, प्रस्तुति, टेलीफोन
वार्ता, अनौपचारिक बातचीत आदि में इसका उपयोग होता है।
प्रतिक्रिया तत्काल मिलती है, परन्तु इसका लिखित रिकॉर्ड
नहीं होता।
- लिखित
संप्रेषण (Written
Communication):
इसमें ईमेल, पत्र, परिपत्र, ज्ञापन (memo)
और रिपोर्ट शामिल होती हैं। यह औपचारिक और संरचित होता है तथा
भविष्य में संदर्भ के लिए उपयोगी होता है।
2. औपचारिकता के आधार पर (Based on
Formality):
- औपचारिक
संप्रेषण (Formal
Communication):
यह संगठन की आधिकारिक श्रेणी और नियमों के अनुसार
होता है। जैसे – आदेश, घोषणाएँ,
कार्य मूल्यांकन।
- अनौपचारिक
संप्रेषण (Informal
Communication):
जिसे ग्रेपवाइन (grapevine) भी कहा जाता है। यह संगठन की औपचारिक सीमा के बाहर होता है। यह तेजी से
सूचना प्रसारित करता है लेकिन अफवाहों और गलत सूचना का कारण भी बन सकता है।
3. प्रवाह की दिशा के आधार पर (Based
on Direction of Flow):
- ऊर्ध्वगामी
संप्रेषण (Upward
Communication):
अधीनस्थों से उच्च अधिकारियों तक सूचना का प्रवाह।
जैसे – रिपोर्ट, सुझाव,
शिकायतें।
- निम्नगामी
संप्रेषण (Downward
Communication):
उच्च स्तर से निचले स्तर तक निर्देशों, नीतियों, लक्ष्यों
आदि का संप्रेषण।
- समांतर
संप्रेषण (Horizontal/Lateral
Communication):
एक ही स्तर के कर्मचारियों या विभागों के बीच का
संवाद। यह आपसी समन्वय और टीमवर्क में सहायक होता है।
प्रबंधन में संप्रेषण का महत्त्व (Importance of Communication
in Management)
प्रबंधन के प्रत्येक कार्य में संप्रेषण की महत्त्वपूर्ण
भूमिका होती है। इसका विवरण निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा किया जा सकता है:
1. योजनाओं और निर्णयों का
क्रियान्वयन:
यदि संप्रेषण न हो, तो श्रेष्ठ योजनाएँ भी सफल नहीं हो सकतीं। यह सुनिश्चित करता है कि सभी को
उनकी जिम्मेदारियाँ ज्ञात हों।
2. समन्वय की सुविधा:
सूचना से लैस टीम बेहतर तालमेल से काम करती है। इससे
प्रयासों में समरूपता, दोहराव
की कमी और संसाधनों का सही उपयोग होता है।
3. प्रेरणा और नेतृत्व:
स्पष्ट संवाद रखने वाले प्रबंधक अपनी टीम को बेहतर
दिशा, प्रेरणा और मार्गदर्शन दे सकते हैं।
4. समस्या समाधान और विवाद
निवारण:
अधिकांश कार्यस्थल विवादों की जड़ गलतफहमी होती है।
समय पर और स्पष्ट संवाद इन्हें रोक सकता है।
5. निगरानी और प्रदर्शन
मूल्यांकन:
प्रतिक्रिया (feedback)
से प्रदर्शन में सुधार होता है, और आवश्यक
सुधारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं।
6. संगठनात्मक संस्कृति और
वातावरण:
पारदर्शी संवाद की संस्कृति से उत्तरदायित्व, ईमानदारी और जुड़ाव की भावना उत्पन्न होती
है।
प्रभावी संप्रेषण के सिद्धांत (Principles of Effective
Communication)
प्रभावी और अर्थपूर्ण संप्रेषण के लिए निम्नलिखित
सिद्धांतों का पालन आवश्यक है:
1. स्पष्टता और सरलता:
भाषा सहज और स्पष्ट होनी चाहिए। अनावश्यक तकनीकी
शब्दों से बचें, या आवश्यकता
हो तो उसका अर्थ समझाएँ।
2. उचित माध्यम का चयन:
संदेश की प्रकृति, आवश्यकतानुसार, और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते
हुए उपयुक्त माध्यम चुनें।
3. सुनने की क्षमता:
केवल बोलना नहीं, सुनना भी महत्त्वपूर्ण है। प्रबंधकों को प्रतिक्रियाओं को ध्यानपूर्वक
सुनना चाहिए।
4. प्रतिक्रिया की व्यवस्था:
यह जानने के लिए कि संदेश सही रूप में समझा गया है
या नहीं, उत्तर की
संभावना बनाएँ।
5. बाधाओं को दूर करना:
भाषाई अंतर, सांस्कृतिक भ्रम, भावनात्मक हस्तक्षेप या भौतिक
विक्षेप जैसे अवरोधो की पहचान करें और उन्हें समाप्त करें।
6. संगतता और समयबद्धता:
संवाद संगठन की नीतियों से मेल खाता हो और समय पर
किया जाए ताकि वह प्रासंगिक बना रहे।
निष्कर्ष (Conclusion)
संप्रेषण केवल एक प्रबंधकीय कार्य नहीं, बल्कि वह आधार है जिस पर सभी अन्य कार्य
निर्भर करते हैं। इसके बिना कोई योजना सफल नहीं हो सकती, कोई
टीम संगठित रूप से काम नहीं कर सकती और कोई भी संगठन दीर्घकालिक सफलता प्राप्त
नहीं कर सकता।
एक कुशल प्रबंधक को मौखिक और लिखित, औपचारिक और अनौपचारिक, व्यक्तिगत और समूह आधारित सभी प्रकार के संवाद में दक्ष होना चाहिए।
संप्रेषण की गुणवत्ता से कर्मचारी संतोष, संगठन में
पारदर्शिता और निर्णय क्षमता सीधे प्रभावित होती है।
"जब संप्रेषण स्पष्ट होता है, संगठन मजबूत होता है।"
इसलिए, किसी भी सफल संगठन के लिए खुले, आदरयुक्त और
उत्तरदायी संवाद की संस्कृति को प्रोत्साहित करना अत्यंत आवश्यक है।
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