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Friday, 1 August 2025

9. प्रबंधन में नियंत्रण: परिभाषा, प्रक्रिया, सिद्धांत और नियंत्रण की तकनीकें

9. प्रबंधन में नियंत्रण (Controlling in Management)

परिभाषा, प्रक्रिया, सिद्धांत और नियंत्रण की तकनीकें

नियंत्रण (Controlling) प्रबंधन की एक मूलभूत (Fundamental) प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि संगठन की सभी गतिविधियाँ पूर्व निर्धारित योजनाओं और मानकों के अनुसार ही संचालित हों। नियंत्रण के माध्यम से प्रबंधक प्रदर्शन की निगरानी करता है, उसे मापता है, स्थापित मानकों से तुलना करता है, और जहाँ भी अंतर (Deviation) पाया जाता है, वहाँ सुधारात्मक कार्यवाही करता है। यह एक मार्गदर्शक और सुधारात्मक प्रक्रिया की तरह कार्य करता है, जो संगठन को अपने लक्ष्यों की दिशा में बनाए रखता है।

संक्षेप में, नियंत्रण को इस प्रकार समझा जा सकता है –

"एक ऐसी प्रक्रिया जो यह सुनिश्चित करती है कि वास्तविक प्रदर्शन (Actual Performance) नियोजित प्रदर्शन (Planned Performance) के अनुरूप हो, चाहे वातावरण में कितनी भी बाधाएँ या अनिश्चितताएँ क्यों न हों।"

नियंत्रण केवल निरीक्षण या जाँच भर नहीं है — यह योजनाओं के क्रियान्वयन में संतुलन और दिशा बनाए रखने की प्रक्रिया है। यह योजना (Planning) और कार्यान्वयन (Implementation) के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी होती है, जो संसाधनों का कुशलता से उपयोग और लक्ष्यों की प्रभावी प्राप्ति सुनिश्चित करती है।

नियंत्रण का अर्थ और महत्त्व

नियंत्रण एक व्यवस्थित प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि संगठन की सभी गतिविधियाँ निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार चल रही हैं। यह निर्धारित लक्ष्यों से होने वाले विचलनों (Deviations) की पहचान करता है और उन्हें सुधारने के लिए उचित कदम उठाता है। यह कार्य बहुत महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि सबसे उत्तम योजनाएँ भी तब तक सफल नहीं होतीं, जब तक उनके क्रियान्वयन की निरंतर निगरानी और आवश्यकतानुसार सुधार न किया जाए।

नियंत्रण के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • मानकों का पालन सुनिश्चित करना
  • दक्षता (Efficiency) और प्रभावशीलता (Effectiveness) बढ़ाना
  • अपव्यय और त्रुटियों को न्यूनतम करना
  • निर्णय लेने में सहायता करना
  • विभागों के बीच समन्वय स्थापित करना

नियंत्रण प्रबंधन के सभी स्तरों पर और सभी क्षेत्रों — उत्पादन, वित्त, मानव संसाधन, विपणन आदि में लागू होता है।

नियंत्रण की प्रक्रिया (Process of Controlling)

नियंत्रण एक नियमित और निरंतर प्रक्रिया है, जिसमें निम्नलिखित चरण होते हैं:

1. प्रदर्शन मानकों की स्थापना (Setting Performance Standards):

मानक (Standards) वे मापदंड होते हैं जिनसे वास्तविक प्रदर्शन की तुलना की जाती है। ये मात्रात्मक (Quantitative) — जैसे उत्पादन इकाइयाँ, लागत, समय-सीमा आदि — या गुणात्मक (Qualitative) — जैसे सेवा की गुणवत्ता, ग्राहक संतुष्टि — हो सकते हैं।

उदाहरण: प्रतिमाह 10,000 इकाइयों का उत्पादन लक्ष्य।

2. गतिविधियों का क्रियान्वयन (Execution of Activities):

योजनाबद्ध कार्यों को तय प्रक्रियाओं के अनुसार क्रियान्वित किया जाता है। यह क्रियान्वयन उन्हीं दिशा-निर्देशों और मानकों के अनुसार होना चाहिए जो योजना बनाते समय तय किए गए थे।

3. वास्तविक प्रदर्शन का मापन (Measurement of Actual Performance):

परिणामों को निरीक्षण, रिपोर्ट, फीडबैक या ऑडिट के माध्यम से एकत्र किया जाता है। यह मापन सटीक और समय पर होना चाहिए।
उदाहरण: मासिक उत्पादन रिपोर्ट, बिक्री के आँकड़े, उपस्थिति का रिकॉर्ड।

4. मानकों से तुलना (Comparison with Standards):

वास्तविक प्रदर्शन की तुलना निर्धारित मानकों से की जाती है, जिससे अंतर की पहचान की जा सके — यह अंतर सकारात्मक (अधिक प्रदर्शन) या नकारात्मक (कम प्रदर्शन) हो सकता है।

5. विचलनों का विश्लेषण (Analysis of Deviations):

प्रत्येक विचलन का विश्लेषण करके उसके मूल कारणों की पहचान की जाती है। यह प्रक्रियाओं, प्रणाली या कर्मचारियों से संबंधित हो सकता है। कुछ विचलन बाहरी कारणों से स्वीकार्य हो सकते हैं, लेकिन अन्य पर सुधारात्मक कार्यवाही आवश्यक होती है।

6. सुधारात्मक कार्यवाही (Taking Corrective Action):

यदि प्रदर्शन मानकों के अनुरूप नहीं है, तो उसे सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं। इसमें प्रक्रियाओं को संशोधित करना, प्रशिक्षण देना, पर्यवेक्षण को बेहतर बनाना या मानकों को अद्यतन करना शामिल हो सकता है।

प्रभावी नियंत्रण के सिद्धांत (Principles of Effective Control)

एक प्रभावी नियंत्रण प्रणाली निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित होती है:

  • लक्ष्य से संबद्धता: नियंत्रण सीधे संगठन के उद्देश्यों से जुड़ा होना चाहिए।
  • मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान: नियंत्रण उन क्षेत्रों पर केंद्रित होना चाहिए जो संगठन के कुल प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं (Key Result Areas)
  • मानकों की स्पष्टता: मानक स्पष्ट, मापनीय और कर्मचारियों के लिए समझने योग्य होने चाहिए।
  • समयबद्धता: नियंत्रण प्रणाली समय पर सूचना प्रदान करे, ताकि तुरंत सुधारात्मक कार्यवाही की जा सके।
  • लचीलापन (Flexibility): नियंत्रण प्रणाली को आंतरिक व बाह्य परिवर्तनों के अनुसार अनुकूल होना चाहिए।
  • जवाबदेही (Responsibility Assignment): प्रत्येक प्रबंधक और कर्मचारी को अपने उत्तरदायित्व ज्ञात होने चाहिए।
  • लागत प्रभावशीलता (Cost-effectiveness): नियंत्रण की लागत उससे मिलने वाले लाभ से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • सुधार की दिशा में केंद्रित: नियंत्रण तभी सार्थक है जब वह प्रदर्शन में सुधार लाए।
  • प्रेरक प्रभाव: अच्छी नियंत्रण प्रणाली उत्तरदायित्व और आत्म-अनुशासन को बढ़ावा देती है।
  • भविष्य उन्मुखता: नियंत्रण प्रणाली को भविष्य की समस्याओं का पूर्वानुमान और रोकथाम करने में सहायक होना चाहिए।

नियंत्रण की तकनीकी और विधियाँ (Techniques and Methods of Control)

प्रबंधक विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं, जो गतिविधियों की प्रकृति और नियंत्रण के स्तर पर निर्भर करती हैं:

1.  दैनिक या नियमित रिपोर्ट:

दैनिक कार्यों और संचालन की निगरानी के लिए।

2.  बजटीय नियंत्रण (Budgetary Control):

वास्तविक वित्तीय प्रदर्शन की तुलना बजट से करके व्यय और संसाधनों का प्रबंधन किया जाता है।

3.  संचालन अनुपात (Operating Ratios):

प्रदर्शन दक्षता को अनुपात के माध्यम से मापा जाता है।
उदाहरण:
संचालन अनुपात = (संचालन व्यय × 100) / सकल लाभ

4.  लागत ऑडिट (Cost Audit):

लागत खातों की जाँच और व्यय प्रवृत्तियों का विश्लेषण — अपव्यय की पहचान और नियंत्रण हेतु।

5.  नियतकालिक समीक्षात्मक रिपोर्ट (Periodic Review Reports):

मासिक, त्रैमासिक या वार्षिक रिपोर्ट के माध्यम से दीर्घकालिक लक्ष्यों और रणनीति की समीक्षा।

6.  विशेष या आकस्मिक नियंत्रण (Occasional or Special Control):

आपातकालीन या असामान्य परिस्थितियों में उपयोग — जैसे गुणवत्ता की गिरावट या श्रमिक विवाद।

7.  नीति नियंत्रण (Policy Control):

कार्य को स्थापित नीतियों और नियमों के अनुरूप किया जा रहा है या नहीं — यह सुनिश्चित करता है।

8.  नौकरशाही नियंत्रण (Bureaucratic Control):

सख्त नियमों, प्रक्रियाओं और स्पष्ट अधिकार श्रेणी पर आधारित नियंत्रण।

9.  आउटकम आधारित नियंत्रण (Output or Result-Based Control):

क्रियाओं की बजाय परिणामों पर ध्यान — बिक्री और उत्पादन जैसे क्षेत्रों में प्रमुख रूप से प्रयोग।

10. सांख्यिकीय गुणवत्ता नियंत्रण (Statistical Quality Control - SQC):

उत्पादन में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सांख्यिकीय नमूने का प्रयोग।

निष्कर्ष (Conclusion)

नियंत्रण केवल निरीक्षण या त्रुटि जाँच भर नहीं है। यह प्रबंधन की एक संचालन (Steering) प्रक्रिया है, जो संगठन को जटिलताओं और अनिश्चितताओं से पार ले जाते हुए लक्ष्यों की दिशा में अग्रसर करती है। एक सुदृढ़ नियंत्रण प्रणाली योजनाओं को वास्तविक और मापनीय परिणामों में बदलने में सहायक होती है।

"नियंत्रण प्रबंधन का स्टीयरिंग व्हील है — यह सुनिश्चित करता है कि संगठन अपनी दिशा में बना रहे और अपने गंतव्य तक पहुँचे।"

एक प्रभावी नियंत्रण प्रणाली व्यक्तियों और टीमों के प्रदर्शन को सुधारती है, संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग को सुनिश्चित करती है, प्रेरणा बढ़ाती है और सतत संगठनात्मक सफलता की नींव रखती है।

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